1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
आपदाभारत

भारत: प्राकृतिक आपदाओं से एक साल में 1997 लोगों की मौत

आमिर अंसारी
१५ मार्च २०२३

देश में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से साल 2022-23 में कुल 1997 लोगों की जान चली गई. वहीं 30,615 पशुओं की जान गई है और लाखों हेक्टेयर फसलें भी तबाह हुईं.

Weltspiegel 26.7.21 | Indien Opfer nach Erdrutsch in Posare Khurd
तस्वीर: National Disaster Response Force/AFP

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि 2022-23 में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से 18,54,901 हेक्टेयर फसलें तबाह भी हुईं. राय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी है कि प्राकृतिक आपदाओं की वजह से जहां देश में 1997 लोगों की मौत हुई है, वहीं  30,615 पशुओं की भी जान गई. आपदाओं की वजह से क्षतिग्रस्त घर और झोपड़ियों की संख्या 3,24,265 है.

राज्यों द्वारा दी गई जानकारी का हवाला देते हुए राय ने कहा कि इन विवरणों में 2022-23 के दौरान 7 मार्च, 2023 तक हुई जलवायु संबंधी आपदाओं के कारण हुए नुकसान शामिल हैं. राय ने यह भी बताया कि विभिन्न जलवायु संबंधी घटनाओं के कारण आई प्राकृतिक आपदाओं की संख्या, उनसे हुए नुकसान और नागरिकों को हुई क्षति की राज्यवार सूचना गृह मंत्रालय द्वारा केंद्रीयकृत रूप में नहीं रखी जाती है और ये सूचना राज्यों द्वारा दी जाती है.

जान लेती आपदाएं

सरकार ने जो आंकड़ा पेश किए हैं उसके मुताबिक महाराष्ट्र में आपदाओं के दौरान सबसे अधिक 438 लोगों की जान गई, इसके बाद मध्य प्रदेश (284), असम (200), गुजरात (189), कर्नाटक (127), छत्तीसगढ़ (95) और राजस्थान (91) है. इसके बाद उत्तराखंड (86), बिहार (70), मणिपुर और उत्तर प्रदेश में 53-53, हिमाचल प्रदेश में 42, तेलंगाना में 39, मेघालय में 27, अरुणाचल प्रदेश में 23, पंजाब में 22, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर में 16-16, त्रिपुरा में 11, ओडिशा में 11, नागालैंड में 10, सिक्किम में आठ, आंध्र प्रदेश में सात और गोवा में एक.

उत्तराखंड: आपदा के बाद घर छोड़ रहे हैं ग्रामीण

04:56

This browser does not support the video element.

इसी तरह नागालैंड में 2022-2023 के दौरान इन आपदाओं में कुल 14,077 मवेशियों की जान चली गई, इसके बाद महाराष्ट्र में 4,301, असम में 2043, तेलंगाना में 1,574, गुजरात में 1,457, कर्नाटक में 1,289, पुडुचेरी में 999, केरल में 997, हिमाचल प्रदेश में 940, छत्तीसगढ़ में 533, तमिलनाडु में 508, उत्तराखंड में 407, आंध्र प्रदेश में 291, ओडिशा में 229, पंजाब में 203, राजस्थान में 184, मेघालय में 167, केरल में 161, सिक्किम में 137, उत्तर प्रदेश में 68, आंध्र प्रदेश में 49 और त्रिपुरा में एक.

इन आपदाओं में असम में अधिकतम 2,02,214 घर और झोपड़ियां तबाह हो गई, इसके बाद कर्नाटक में 45,465, तेलंगाना में 14,858, आंध्र प्रदेश में 13,573, ओडिशा में 9,693, गुजरात में 6,762 और मध्य प्रदेश में 6,646.

जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ी आपदाएं

वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएं बढ़ी हैं और ज्यादा लोगों की जान जा रही है. पिछले साल विज्ञान मंत्रालय ने संसद में एक रिपोर्ट में कहा था लू चलने की घटना आठ गुना बढ़कर 27 पर पहुंच गई. बिजली गिरने की घटनाओं में 111 गुना की वृद्धि हुई. साथ ही 240 तूफान आए, जो पिछले साल के मुकाबले पांच गुना ज्यादा थे.

अमेरिका में बर्फ से जम गया रेस्तरां

02:08

This browser does not support the video element.

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत 2030 तक कड़ाई से कदम नहीं उठाता है तो जलवायु परिवर्तन के नतीजे उस पर बहुत भारी पड़ने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी 2050 तक पानी की किल्लत से जूझ रही होगी.

उसी दौरान देश के तटीय इलाके, जिनमें मुंबई जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं, समुद्र के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित हो रहे होंगे. गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी बेसिनों में और बाढ़ आएगी और उसी दौरान सूखे और पानी की किल्लत से फसल उत्पादन भी गिरेगा.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें