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क्या क्रूज शिप 2050 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल कर पाएंगे

योनास मार्टिनी
४ मार्च २०२४

ईंधन के विकल्पों की कमी और पैसे बचाने की आदत के कारण क्रूज कंपनियां उत्सर्जन में ज्यादा कटौती नहीं कर रही हैं. आलोचकों का कहना है कि उनकी कोशिशों में बेहतरी की बहुत गुंजाइश है.

क्रूज उद्योग ने उत्सर्जन से मुक्त होने के लिए बड़े स्तर पर कोई रूपरेखा नहीं बनाई है.
क्रूज उद्योग का कहना है कि वह साल 2050 तक उत्सर्जन को पूरी तरह खत्म करने की योजना बना रहा है. तस्वीर: Sina Schuldt/dpa/picture alliance

एमएससी यूरिबिया नाम के क्रूज शिप ने पिछले साल फ्रांस से डेनमार्क तक की समुद्र यात्रा की थी. चार दिन के इस सफर में छह हजार से ज्यादा यात्री शामिल हुए. एमएससी कंपनी ने इसे दुनिया का पहला नेट-जीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाला क्रूज बताया. यात्रा के दौरान शिप ने 400 टन जैव-तरलीकृत प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल किया. इसके लिए स्विट्जरलैंड की क्रूज कंपनी ने काफी धन खर्च किया था.

एमएससी समूह के क्रूज विभाग के कार्यकारी अध्यक्ष पायरफ्रांसेस्को वागो ने कहा कि हमारा क्लाइमेट-न्यूट्रल क्रूज शून्य उत्सर्जन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. क्या यह इस बात का संकेत था कि भविष्य में क्रूज उद्योग पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल होगा? या ये सिर्फ एक महंगा प्रचार अभियान भर था?

एमएससी ने 2050 तक पूरी तरह कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य रखा है. अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) और क्रूज लाइंस इंटरनेशनल एसोसिएशन (सीएलआईए) ने भी यही लक्ष्य निर्धारित किया है. हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनी इस लक्ष्य को कैसे हासिल करेगी. अपनी हालिया सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट में कंपनी ने ग्रीनहाउस ग्रैसों के उत्सर्जन को घटाने की कोशिशों के बारे में बताया है. लेकिन कंपनी ने यह नहीं बताया है कि वह अगले कुछ सालों में किन लक्ष्यों को पाना चाहती है.

टीयूआई क्रूज कंपनी के लक्ष्य ज्यादा स्पष्ट हैं. कंपनी 2030 तक अपना पहला क्लाइमेट-न्यूट्रल शिप लाना चाहती है. साथ ही, सीओटू उत्सर्जन को 2019 के स्तर से 27.5 फीसदी तक कम करना चाहती है. इस साल जून में 'माइन शिफ 7' नाम के एक नए जहाज के पानी में उतरने की उम्मीद है. यह जहाज नवीकरणीय ऊर्जा से बनाए गए ग्रीन मेथनॉल से चलेगा. हालांकि, जहाज के प्रोपल्शन सिस्टम से उत्सर्जन होता रहेगा, लेकिन इसके कार्बन फुटप्रिंट न्यूट्रल होंगे.

एमएससी यूरिबिया साल 2023 में नेट जीरो-ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाला पहला क्रूज बना. तस्वीर: Markus Scholz/dpa/picture alliance

हैवी फ्यूल ऑइल को छोड़ने की तारीख निश्चित नहीं

क्रूज उद्योग ने उत्सर्जन से मुक्त होने के लिए बड़े स्तर पर कोई रूपरेखा नहीं बनाई है. उदाहरण के लिए, टीयूआई क्रूज कंपनी ने भारी ईंधन तेल  (हैवी फ्यूल ऑइल) का इस्तेमाल बंद करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है. यह तेल पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक होता है. कंपनी ने यह भी तय नहीं किया है कि वे कब तक अपने मौजूदा जहाजों के प्रोपल्शन सिस्टम को पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल बना लेंगे.

कंपनी के प्रवक्ता लार्स नीलसन कहते हैं, "ऐसा तकनीकी व्यावहारिकता और वैकल्पिक ईंधन की उपलब्धता ना होने की वजह से है. पर्याप्त वैकल्पिक ईंधन कब तक उपलब्ध हो पाएगा, यह जाने बिना तारीख घोषित कर देने का कोई मतलब नहीं है.”

यह भी साफ नहीं है कि क्रूज उद्योग में बढ़ती ई-फ्यूल की मांग को कैसे पूरा किया जाएगा. ई-फ्यूल, स्वच्छ ऊर्जा की मदद से बनाए जाते हैं. एनवॉयरमेंटल एक्शन जर्मनी के मुताबिक, "फिलहाल, व्यावसायिक तौर पर ई-फ्यूल का उत्पादन नहीं किया जा रहा है. इसके ज्यादातर घोषित संयंत्रों को भी सुरक्षित फंडिंग नहीं मिली है. जितना ई-फ्यूल बनाया जा रहा है, वह वैश्विक जहाज उद्योग के जीवाश्म ईंधन उपभोग का दो फीसदी भी नहीं है.”

एनजीओ के मुताबिक, "टीयूआई, नेट जीरो क्रूजों को प्रचारित करती है, लेकिन यह नहीं बताती है कि वह उन्हें वास्तव में नेट जीरो कैसे बनाएगी. यह ग्रीनवॉशिंग और उपभोक्ता को धोखा देने के बराबर है.” एनवॉयरमेंटल एक्शन एजेंसी ने हाल ही में कंपनी के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया है.

क्रूज कंपनियों को दिखानी होगी गंभीरता

प्रकृति और जैव विविधता संरक्षण संघ के जूंक डीसनर भी मानते हैं कि क्रूज कंपनियां ज्यादा बेहतर प्रयास कर सकती हैं. उदाहरण के लिए, यह उद्योग अभी भी भारी ईंधन तेल पर निर्भर है क्योंकि कंपनियां ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना चाहतीं. जबकि बाजार में ईंधन के ऐसे विकल्प मौजूद हैं, जो भारी ईंधन तेल की तुलना में पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं.

क्रूज कंपनियां अभी भी भारी ईंधन तेल से चलने वाले जहाज खरीद रही हैं. इसपर डीसनर कहते हैं, "क्रूज उद्योग अपनी छवि बिगाड़ रहा है. उन्हें यह बताना चाहिए कि वे किस तरह 2050 तक क्लाइमेट न्यूट्रल बनना चाहते हैं. अगर यह उद्योग स्पष्ट रूप से कहे कि निकट भविष्य में केवल जलवायु-अनुकूल ईंधन का ही उपयोग किया जाएगा, तो इससे वैकल्पिक ईंधन बना रही कंपनियों में एक सकारात्मक संदेश जाएगा.”

कुछ जहाज कंपनियां ऊर्जा कंपनियों के साथ मिलकर काम करने और वैकल्पिक ईंधन के विकास को आगे बढ़ाने की योजनाएं बना रही हैं.

उदाहरण के लिए, टीयूआई क्रूज ने हाल ही में जर्मनी की माबानाफ्ट कंपनी के साथ एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. यह कंपनी टीयूआई के जहाजों के लिए सिंथेटिक ई-मेथोनॉल की आपूर्ति करेगी.

माबानाफ्ट में सस्टेनेबल फ्यूल्स के प्रमुख ओलेक्सांद्र ऑलेक्जेंडर सिरोमाखा समझाते हैं कि प्रगति धीमी होती क्यों दिख रही है. वह बताते हैं, "अगर आप मेथनॉल से चलने वाला नया क्रूज शिप खरीदना चाहते हैं, तो यह भी सुनिश्चित करना चाहेंगे कि मेथनॉल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो. वहीं दूसरी तरफ, मेथनॉल उत्पादकों का कहना है कि जब तक ऐसे जहाज होंगे ही नहीं, वे मेथनॉल उत्पादन में बड़ा निवेश कैसे कर सकते हैं.” सिरोमाखा कहते हैं कि ईंधन के इस बदलाव को आसान बनाने के लिए राजनेताओं को एक स्पष्ट रूपरेखा बनानी चाहिए.

दुनिया का सबसे बड़ा क्रूज शिप

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तटवर्ती बिजली इस्तेमाल करना होगा जरूरी

यूरोपीय संघ का दबाव सीओटू का उत्सर्जन कम करने में जहाज उद्योग की मदद कर सकता है. 2024 की शुरुआत में, यूरोपीय संघ ने उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ईटीएस) में शिपिंग को शामिल किया था. यूरोप के अंदर होने वाली सारी शिपिंग और यूरोप से बाहर होने वाली आधी शिपिंग इस प्रणाली के अंदर आ गई थी.

इसके चलते शिपिंग उद्योग में इस्तेमाल होने वाले ईंधनों का ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन एक निश्चित सीमा से ज्यादा नहीं हो सकता. यूरोपीय संघ ने यह भी कहा है कि 2030 तक सभी यूरोपीय बंदरगाहों पर तटवर्ती बिजली का इस्तेमाल करना जरूरी हो जाएगा. यानी, बंदरगाहों पर जहाजों को अपने इंजन बंद कर स्थानीय बिजली का इस्तेमाल करना होगा.

इस बीच, यह साफ नहीं है कि एमएससी क्रूज कंपनी का अगला नेट-जीरो उत्सर्जन करने वाला जहाज कब अपनी यात्रा पर निकलेगा. एमएससी समूह के क्रूज विभाग में वरिष्ठ अधिकारी मीकेले फ्रांसिओनी कहते हैं कि इस कारनामे को दोहराने से पहले हमें पूरे जहाज उद्योग के लिए ज्यादा नवीकरणीय ईंधन की जरूरत होगी. फिलहाल एमएससी यूरिबिया तरलीकृत प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल कर यात्राएं कर रहा है. निकट भविष्य में भी उसके ऐसा ही करते रहने की संभावना है.

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