1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

2024 में पलायन है यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी चुनौती?

लूसिया शूलटेन
५ जनवरी २०२४

पिछले साल सामाजिक विमर्श को आकार देने वाले चुनिंदा प्रभावशाली मुद्दों में से एक था पलायन. इस साल भी यूरोपीय संघ के एजेंडे में पलायन का मुद्दा हावी रह सकता है.

शरणार्थियों से भरी एक नाव
2023 में पूरे साल इटली के तट रक्षक भूमध्य सागर से प्रवासियों को बचाने में लगे रहे. तस्वीर: Yara Nardi/REUTERS

यूरोपीय संघ में शरण लेने वालों की संख्या में पिछले दो साल के दौरान वृद्धि हुई है. 2022 में करीब  दस लाख लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन यूरोपीय संघ की असाइलम एजेंसी का अनुमान है कि अब ये 2015 से अब तक की सबसे बड़ी संख्या हो सकती है. उस साल बड़ी संख्या में लोग यूरोप पहुंचे थे और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने नारा दिया थाः "हम ये कर सकते हैं!"

यूरोपीय संघ की सीमा सुरक्षा एजेंसी फ्रंटेक्स के मुताबिक, शरण मांगने वाले कुल लोगों में 350,000 से ज्यादा ऐसे थे, जो 2023 के शुरुआती 11 महीनों में बिना इजाजत, अनियमित तरीके से दाखिल हुए. 

लेकिन यूरोपीय आयोग के मुताबिक, 27 सदस्य देशों में आने वाले तमाम प्रवासियों का कुछ हिस्सा ही अनियमित माइग्रेशन के जरिए दाखिल हुआ. इसके मुकाबले 2022 में करीब 35 लाख शरणार्थी, असाइलम के दर्जे के साथ या शिक्षा या रोजगार हासिल करने यूरोपीय संघ पहुंचे थे. 

यूरोप है प्रवासियों का पसंदीदा ठिकाना

जानकार मानते हैं कि बहुत से लोग 2024 में भी खतरनाक और कभी-कभार जानलेवा सफर कर यूरोप आना जारी रखेंगे. शरणार्थियों और निर्वासितों पर यूरोपीय परिषद की निदेशक कैथरीन वुलार्ड ने डीडब्ल्यू को बताया कि दुनिया भर में रिकॉर्ड संख्या में लोग अपनी जगहों से भाग रहे हैं. ऐसे लोगों का एक छोटा हिस्सा यूरोपीय संघ में शरण मांगेगा.

वुलार्ड का कहना है, "बहुत मुमकिन है इस साल करीब दस लाख लोग यूरोप में शरणार्थी बन कर आएंगे और उनमें से अधिकांश लोग वाकई सुरक्षा के जरूरतमंद होंगे."

बर्लिन के अंतरराष्ट्रीय और सुरक्षा मामलों के संस्थान में जर्मन और यूरोपीय प्रवासन नीति के लिए काम कर रहे डेविड किप कहते हैं कि "फिलहाल इस रुझान के पलटने का कोई संकेत नहीं है" क्योंकि दुनिया भर में संकट बढ़ रहा है.

वुलार्ड कहती हैं कि इसके बावजूद प्रवासियों को जगह दी जा सकती है. इसके लिए वह 2022 में यूक्रेन से भागकर यूरोपीय संघ आए लोगों का उदाहरण देती हैं कि कैसे वे यूरोपीय समाज में शामिल कर लिए गए. यूरोपीय परिषद के मुताबिक, करीब 42 लाख यूक्रेनियों को सितंबर 2023 में यूरोपीय संघ में अस्थायी शरण हासिल हुई थी. वुलार्ड का सुझाव है कि संख्या से घबराने की बजाय यूरोप में शरण देने की प्रणालियों में सुधार किया जाना चाहिए.

जर्मनी किसे शरण देता है और किसे करता है डिपोर्ट

04:22

This browser does not support the video element.

शरण से जुड़े सुधार लागू करने होंगे

दिसंबर 2023 में यूरोपीय संसद और 27 सदस्य देशों ने यूरोपीय संघ की प्रवासन और शरण नीति में दूरगामी सुधार पर सहमति जताई थी. अमल से पहले सभी सदस्य देशों और यूरोपीय संसद को 2024 के पूर्वार्ध में इसे औपचारिक रूप से अंगीकृत करना होगा.

किप को उम्मीद है कि दो से तीन साल में नए कानून लागू हो जाएंगे. फिलहाल सांकेतिक समझौता ही सबसे आगे रखा गया है. उसमें शामिल लोगों के लिए किप उसे, राजनीतिक मुक्ति कहते हैं.

सुधार में ज्यादा सख्त प्रावधान रखे गए हैं, जैसे कि सफलता की थोड़ी सी संभावना वाले शरणार्थियों के साथ सीमा पर कैसा सुलूक किया जाएगा. उन्हें हिरासत जैसी स्थितियों में रखा जाएगा, बच्चों वाले परिवार भी अपवाद नहीं होगे. सदस्य देशों के बीच, अनिवार्य एकजुटता की व्यवस्था भी सीमा पर बसे देशों का बोझ कम करेगी. इसमें कहा गया है कि अगर सदस्य देश शरण मांगने वालों को स्वीकार करने से मना करता है, तो उसे इसके बदले वित्तीय मुआवजा भरना होगा या किसी और तरह का योगदान करना होगा.

बहुत से मानवाधिकार संगठनों ने प्रस्तावित नियम-कायदों की तीखी आलोचना की है. वुलार्ड को भी डर है कि शरण पाने का पहले से नाजुक अधिकार और कमजोर पड़ जाएगा.

वह कहती हैं, "एक प्रमुख चुनौती है कि यह समझौता कुछ बुनियादी समस्याओं का हल नहीं कर पाएगा. सीमाओं पर बसे देशों के ऊपर लादी गई ज्यादा जिम्मेदारी से, जो कि समझौते का हिस्सा है, हमें आशंका है सीमाओं पर लोगों को वापस करने और उन्हें शरण देने की मनाही के मामले और बढ़ेंगे."

किप के मुताबिक, ये देखा जाना है कि नए प्रस्ताव कितने कारगर रहेंगे. मसलन, अभी यह साफ नहीं है कि नए सीमाई प्रावधानों को शामिल करने के लिए शिविर बनाए जाएंगे या नहीं और उन्हें मानवोचित अंदाज में कैसे डिजाइन किया जा सकता है.

इस साल पतझड़ के महीनों में इटली के लैंपेदूसा द्वीप पर आने वाले प्रवासियों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई. ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए यूरोपीय संघ आपातकालीन योजना लाया. तस्वीर: Zakaria Abdelkafi/AFP

कूटनीति के जरिए रोकथाम?

यूरोपीय संघ ने 2023 की गर्मियों में ट्यूनीशिया के साथ एक प्रवासन समझौता किया था. एक अरब यूरो की वित्तीय मदद के बदले ट्यूनीशिया, यूरोप पहुंचने की आस में निकले शरणार्थियों को भूमध्य सागर पार करने से रोकेगा.

हालांकि इस समझौते के उल्लेखनीय नतीजे अभी नहीं मिले हैं. इस बीच, दूसरे मामलों में संबंधों में ठहराव आ गया है. अक्टूबर में ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति काइस सईद ने यूरोपीय संघ के लाखों यूरों के भुगतान को "हैंडआउट" कहकर खारिज कर दिया था.

किप का अंदाजा है कि 2024 में माइग्रेशन नीति और ज्यादा अहम हो जाएगी. ट्यूनीशिया से हुआ समझौता, प्रवासियों को यूरोप से बाहर रखने में तीसरे देशों को शामिल करने की यूरोपीय संघ की पहली कोशिश नहीं है. इसी तरह के समझौते तुर्की और लीबिया के साथ भी हो चुके हैं. मिस्र के साथ भी ऐसे समझौते पर काम जारी है.

लेकिन ये व्यवस्थाएं मानवाधिकार नजरिए से बहुत विवादास्पद हैं. उसके अलावा, वुलार्ड रेखांकित करती हैं कि ये व्यवस्थाएं बहुत सफल भी नहीं हैं. वह कहती हैं, "यूरोप का काम करने के लिए ट्रांजिट देशों की न कोई वास्तविक दिलचस्पी है ना इच्छा."

किप के मुताबिक, प्रस्तावित सीमाई प्रावधानों में उन देशों के साथ आगे भी सहयोग की जरूरत होगी जो खारिज हुए शरणार्थियों को अपने यहां रखते हैं. लेकिन ट्रांजिट देशों की उन लोगों में कोई वास्तविक दिलचस्पी नहीं है, जिन्हें तीसरे देशों से निर्वासित किया गया है.

ईयू चुनावों में प्रवासन मुख्य मुद्दा बन सकता है

गैर-आधिकारिक स्तर पर ब्रसेल्स में बताया गया कि शरणार्थी समझौता दक्षिणपंथी पॉप्युलिस्टों के उभार को थामने के लिए जरूरी था. यूरोपीय संसदीय चुनाव जून में होंगे. कई सदस्य देशों के चुनावों में माइग्रेशन अक्सर प्रमुख राजनीतिक भूमिका निभाता रहा है. सबसे हालिया उदाहरण नीदरलैंड्स का है, जहां धुर-दक्षिणपंथी सांसद गीअर्ट विलडर्स की इस्लाम विरोधी, एंटी इमीग्रेशन पार्टी फॉर फ्रीडम को जीत हासिल हुई.

फिर भी केप जैसे जानकारों को इस पर संदेह है कि शरणार्थियों से जुड़े नए नियम, मुद्दे को कम विस्फोटक बनाने में मदद कर पाएंगे, क्योंकि सच्चाई यही है कि पलायन जारी रहेगा.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें